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Oct 2019
जादू

छुआ नहीं तन को कभी,
छु लिया सीधे रूह को मेरे;

रातों को कभी सोने नहीं दिया मुझे, इस प्यार ने तेरे

ऐसे प्यार को क्या नाम दूं; जो छा जाए पूरे दिल में ;

खयालों में तु, सपनों में तु; तु ही है तन मन में

आहट होती है तो सोचू तु आया; धुंदे तुझे हरदम यह नज़र

प्रीतम मेरे,  तु ही बता यह  कैसा है प्यार का अनोखा मंज़र

दिल बेचैन, रूह बेचैन; बेचैन निगाहें मेरी;

हो गई है निराश, राह निहारते निहारते तेरी ।

मन जानता है आओगे न तुम कभी, पर दिल मानता ही नहीं;

क्या करू इस दिल का, जो सच्चाई समझता ही नहीं।

यह कैसा जादू किया तुने प्रीतम, मै रही न खुद अपनी;

पर मै क्या;  न राधा प्यारी, न मीरा रानी हो सकी तेरी पत्नी

Armin Dutia Motashaw
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