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Oct 2019
ग़म

छुपाए बैठे हैं सीने में तेरा ही  गम ।

काश तू देख लेती एक निगाह हमें, इस जनम;

तो कातिल यह दर्द हो जाता कुछ तो कम!

तुझे नासमझ बनना है, तो क्या करे हम !

तेरे प्यारसे पूछने पर, हो जाता यह दर्द थोड़ा कम;

कभी तो समझेगी तु, बस इसी इंतजार में बैठे हैं हम।

इतना भी न तड़पा हमें, ऐ दिलरुबा, के मौत मांगे हम

गर मौत आए तो उसके पहले झलक दिखाना, तब छूटेगा यह दम ।

Armin Dutia Motashaw
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