Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Sep 2019
मुझे न तेरी बातें सुनना पसंद है
मै कभी कहती नहीं
पर तेरा ओरो से ज्यादा
मुझमें दिलचस्पी दिखाना मुझे पसंद है
किसी और के अगर तारीफ भी करू
' तो भी तुझे फर्क नई परता'
ये तेरा ऐसा स्वभाव मुझे पसंद है
किसी चीज में गलती चाहे मेरी हो
पर फिर भी तू झुकता है
वापस मुझसे बात करता  है
ये तेरा अहंकार मेरे सामने न रहना
मुझे पसंद है....
मुझसे झगड़ना तुझे पसंद है
फिर जब गुस्सा जाऊ तो
तेरा वापस मनाना मुझे पसंद है
तू जो झूठ बोलते हुए
सारि सच्चाई मेरे सामने बोल देता है न
तेरी ये बात मुझे पसंद है
तू सबके सामने तो समझदार बनता है
पर मेरे सामने जब तू
छोटा सा बच्चा बनकर
सबकुछ सच सच उगल देता है न
तो तेरे अंदर का वो बच्चा मुझे पसंद है।
Written by
Rashmi
128
 
Please log in to view and add comments on poems