चुप सी क्यों हूं? ये पूछना अब बेफिजुल सा लगता है शब्दों को ना समझने वाली दुनिया के आगे अपने शब्दो को रखना भी बिफिजुल लगता है लोग कहते है बिखर जाओगी अकेले.... तो सोचा चलो मेरे शब्दो को ना समझ पाने वाली दुनिया को दिखाए अकेले ही निखर पाऊंगी मैं फिर सोचा के इस दुनिया को क्यों दिखाए खुद को देखते है और दखते है जो देखना दिखाना है ये दुनिया ना पहले समझी थी और ना शायद समझेगी तो क्यों ही अपना समय इन पर खराब करे वैसे भी समय खराब करने के लिए बहुत कुछ है इस उबाऊ सी दुनिया पे क्यों खराब करे अपना समय इससे अच्छा कुछ मस्ती भरे पल ही बना ले अकेले है रहा कर।