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Armin Dutia Motashaw
Poems
Sep 2019
अंजाम
अंजाम
बिठाया तुझे दिलमे, बना के देवता मेरे मन मंदिर का, है तु यहां सदा बिराजमान।
कण कणमें बसा है तु; तेरी प्रियतमा बनने का, दे दे मुझे वरदान ।
तेरी छवी बसती है मुझमें; इस दिल में, है तु ही बिराजमान;
जलाया है प्रेम दीपक तेरे लिए; गाती हूं तेरे ही गुण गान ।
दिल चाहे, ओढ़लू चुनर तेरे नाम की, पर तु देवता मै इंसान;
लोग पराए क्या जाने; तुझमें ही बसती है मेरी जान ।
सब कहे तु है राधिका का कान्हा; मेरी नहीं कोई भी पहछान;
मै तेरी जोगन, तु मेरा मनमोहन; देना मुझे प्रेमका दान ।
तु ही है मेरे मन मंदिरका देवता; पर राधा के साथ लिया जाता है तेरा नाम;
है कान्हा, देख तो, तेरी प्रीत में दुर दुर तक हो रही हूं बदनाम ।
फिर भी, जलता रहेगा यह प्रेम दीपक, लेती रहूंगी तेरा ही नाम;
गाती रहूंगी तेरे ही भजन और गीत; कुछ भी आए अंजाम ।
Armin Dutia Motashaw
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Armin Dutia Motashaw
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