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Armin Dutia Motashaw
Poems
Aug 2019
गुजरे हुए जमाने
गुजरे हुए जमाने
आए याद मुझे, वोह सुनहरे बीते दिन
अब जीना कितना मुश्किल हे उन बिन !!!
नदी किनारे, ठंडी हवा में बालकनी में बैठना,
स्टीरियो से, पुराने संगीत के मझे लूटना
लताजी की मीठी तान पे हो जाना दिल का कुर्बान;
जुथिका रॉय, जगनमोहन के गीत छु लेते हैं दिलो जान !!!
तलत, मुकेश, मन्ना दा, हेमंत के नगमे है सुरीले और दिलजीत
और क्या कहने जलोताजी के; प्यारे लगते हैं मोहमद, चित्रा और जगजीत ।
कुछ अंग्रेजी नगर्मे भी छु लेते हैं दिल को, वो भी है मुझे प्यारे ।
कितना सुंदर मेरा कुपर मेनशन था, बिल्कुल नदी के किनारे;
खुला आसमान, डूबता सूरज, खिला हुआ चन्द्र, बड़े दिलकश थे नज़ारे
काश आ जाते फिर से एक बार, वो गुजरे हुए जमाने !!!
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
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