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Armin Dutia Motashaw
Poems
Aug 2019
Untitled
बोली
बोली ऐसी बोलिए के सुनने वाले को मिले शांति
चलो शुरू करें आजसे क्यों, अभिसे ही यह क्रांति
सोचिए , जरा मनमंथन कीजिए, क्या पसंद करते हैं आप ?
कोयल की कूक मन को लुभाती है ; और कौएकी बोली लगे श्राप।
बोली हो इतनी प्यारी और मधुर, जैसे हो कोई सुरीला गीत
श्रोता के कर्णपट को लगे यह मधुर भक्तिस्वरूप संगीत ।
मीठी बोली देती है मनको शांति और दिल को सुकून
"बस मीठा ही बोलिए"; काश मैं बना पाती ऐसा एक कानून ।
भले नहीं है ऐसा कोई कानून, कोशिश जरूर कीजिए;
फिर आपभी श्रोता बनके लुफ्त इस मधुर बोलीका लीजिए ।
Armin Dutia Motashaw बोली
Written by
Armin Dutia Motashaw
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