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Armin Dutia Motashaw
Poems
Aug 2019
शायर
एक शायर में होती है शम्मा की आग
और परवानेकी तरह वो जलके हो जाता है खाक
दिल होता है उसका मोम जैसा, पिघल जाता है पल भर में
आंसु उसकी आंखों से बहते है गैरोका दुख देख कर, पल मे
कोमल ह्रदय और बेहती आंखे होती है एक शायार् की निशानी
और बड़ी मधुर और रस्प्रद होती है उसकी वाणी
एक कवि की कल्पना होती है बड़ी रंगीन, हसीन और काल्पनिक
रसीले वर्णन करते हुए थकती नहीं कभी भी एक कवि की कलम
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
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