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Jul 2019
उड़ान

मन की उड़ान को रोक न पाऊं,

तेरे बिना जाऊ तो कहां जाऊं

मन मंदिर में बसाया तुझे जो एक बार;

वहां से निकाल न पाऊं; कोशिश की बार बार

ह्रदयमें मेरे, जो बसी है मुहरत उसे निकाल न पाऊं

तेरी प्रीत है जीवन मेरा, जाऊ तो कहां जाऊं ।

दिल में बसे हो, मन में बसे हो, आंखो में बसे हो

कभी तो, मेरी रोती हुई आंखो से, मोती बनके हसे हो ।

कण कणमें समाए हो, दूर कैसे रहूं आपसे ;

प्यार कहां किया जाता है तोल के, माप के ;

सपनों के पंख होते हैं, बेहतरीन, बड़े रंगीन ;

पर वास्तविकता होती है कठोर, बड़ी संगीन ।

उड़ान भर ले लम्बी, तु चाहे जितनी ;

वास्तविकता कठिन होती है  उतनी ही ।

मीरा हो या राधा, कृष्ण बसे है उनके तन मन में

दुनिया लूटा दी अपनी उन्होंने; लीन हो गए मनमोहन में ।

Armin Dutia Motashaw
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