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Jul 2019
आया सावन

आया तो है सावन, पर मेरे लिए पतझड़ लेके आया

पिया मिलन के गीतों छोड़ के मैंने एक बिरह गीत गाया

यह कैसी प्रीत, यह कैसा प्यार, यह कैसा संसार मैंने पाया !

विरह में वृद्ध हो गई अरमानों से भरी गोरी गोरी काया

क्या कहूं किसे मेरे प्रीत की करुण कहानी, यह तेरी कैसी माया !!!

सावन फिर से आया, पर मेरे लिए फिर से पतझड़ ही लाया ।

बैठी हूं उदसियो के साए में, तु न आया, रह गया मेरे साथ बस मेरा साया ।

Armin Dutia Motashaw
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