बाँसुरी चली आओ होंठो का निमंत्रण है तुम्हे बुलाया कान्हा ने आज दिया आमंत्रण है बिन तुम्हारे कान्हा अधूरा है गोपियों के मन में उलझन है बाँसुरी चली आओ होंठों का निमंत्रण है
जितनी राधा प्यारी है उतनी तुम भी प्यारी हो होंठों से कुछ ऐसी धुन निकलू जो सबसे निराली हो बिन तुम्हारे हर तरफ कितनी उदासी है तुमसे मिलने को अब तक मेरी आँखें प्यासी है मेरे होंठों से निकला हर स्वर तुमको अर्पण है बाँसुरी चली आओ होंठों का निमंत्रण है
हर तरफ इस दुनिया में कितना अंधकार है बिन तुम्हारे जीना मुझे नही स्वीकार है तुम्हारी प्यारी धुन गोपियों को सुनानी है मेरे संग यह गोपियाँ भी तुम्हारी दीवानी है तान भावना की है शब्द शब्द तर्पण है बांसुरी चली आओ होंठों का निमंत्रण है बिन तुम्हारे मेरी हस्ती अधूरी है तुम चली आओ गीत गाना जरूरी है तुम नही आयी तो गीत गा नही पाऊँगा स्वर तो खीचूँगा पर सजा नही पाऊँगा अंधकार को मिटाने की बस एक ही किरण है बाँसुरी चली आओ होंठों का निमंत्रण है