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Jul 2019
संदेश

घनेरा बादल छा गया; दिखता नहीं मुझे मेरा चांद आज

सुझे न सुर,  कैसे और कहां से छेड़ दू मै दिल का साज़

रात जब ढली, तो छत पर गई मै देखने चांद मेरा

पर देख न पाई उसे, काले घने बादलोंने था उसे घेरा ।

राह निहारूं कबसे, अब आ के, जरा मुस्कुरा भी दे

ओ चंदा, बादल से निकलके तु भी मुझे ज़रा देख ले ।

ठंडी हवा थप थपा रही है, थोड़ी नींद आ रही है मुझे;

अब तो दर्शन देदे, देना है पिया के लिए, संदेश तुझे

दिल को लगा के ठेश, पिया खो गए जा के परदेश

तुझसे ही दो बातें कर के, भेजती हूं उन्हें मेरा प्रेमभरा संदेश ।

Armin Dutia Motashaw
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