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Jul 2019
सपना जो हुआ न अपना

मेरी प्रीत बनके रह गई एक सपना

प्रीतम, तु बन न सका कभी अपना

अब तो रह गया है जीवनमे बस नाम तेरा है जपना।

यह कैसा था सपना, जो हो न सका कभी भी अपना

Armin Dutia Motashaw
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