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Jul 2019
बस तुमसे नैन क्या मिले, अपने आप से पराए हो गए हम

नैन मिले, तो अपना ही चैन गवां बैठे, अपने ही हाथों से  हम

खुशियां आपके लिए छोड़ के, अब, अपना लिया है हमने गम

पर शायद इतना त्याग भी मेरे खुदा को लगता है कम ;

मिलती नहीं एक झलक भी आपकी हमें, इस बात का है बहुत गम

बेखबर हो तुम, और झिझकके रह गए हम, इसी लिए दूरी कभी हुई न कम

ऐसी भी क्या रुसवाई  तकदीर की, समझ पाए नहीं हम ।

बेरुखी तुम्हारी, चिर देती है सिना,
मुश्किल है जीना; और क्या कहे हम

Armin Dutia Motashaw
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