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Jun 2019
अमावस की रात

बड़ी लम्बी और भयानक थी वोह अमावस की रात

दर्दनाक कहानी लिख गई है यह कातिल  काली रात ;

यह रात,  जिसकी है एक दर्दभरी कहानी, एक दुखद बात ।

सुंदर गुड़िया जैसी थी वो, हसीन और चुलबुली; जी आइसकी है यह बात।

बड़े अरमानों से मैया बाबा ने पीले किए थे उसके कोमल हाथ

गई वो ससुराल साथ लेके अपने हसीन सपने और जज़्बात

पर सास ने सताया, ननंद और देवर ने गुजारे अत्याचार, मार के लात

आंखो में थे सपने जिसके, वोह साजन था एक राक्षस; किए अनेक प्रत्याघात ।

यह सब देख कर, दुख झेल कर लगा उसे बड़ा आघात

थी जो एक राजकुंवरी जैसी, बना दिया उसे एक दासी; किस्मत ने दी ऐसी मात

जब झेल न सकी वोह अत्याचार; तब लगी भागने एक रात

पीछे भागते आए ससुरालवाले; सन्नाटा छाया था गंगाजी के घाट

धकेल दिया गंगाजी में, उस बिचारी को; किस्मत ने दी उसे मात ।

आज न थे चांद, न सितारे; भयानक काला था आज गंगा घाट

चीखी, चिल्लाई, पर सुनी नहीं किसी ने आवाज़ उस रात

डूब गई वो, बेह गई वो, तिनका भी न आया उसके हाथ

आज भी सुनाई देती है चिखे उसकी, जब जब होती है अमावस की रात ।

Armin Dutia Motashaw
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