Hello & Poetry
Classics
Words
Blog
F.A.Q.
About
Contact
Guidelines
© 2024 HePo
by
Eliot
Submit your work, meet writers and drop the ads.
Become a member
Armin Dutia Motashaw
Poems
Jun 2019
यह ख्वाहिशें
यह ख्वाहिशें
एक बिरहन पुकारे......
क्या करू, जाती नहीं दिल से, यह ख्वाहिशें मेरी;
कुछ भी करू, जाती नहीं दूर दिल से, यह यादे तेरी
दिमाग कहता है, हटा दें इन्हे तु, दिल से कर दे दूर;
दिल कहता है, संजो के रख तु इन्हे; कर रहा है मुझे मजबूर
क्या करू, इस कश्मकश में उलझा है दिल, जले मोरा जिया ।
क्या करू समझ न आए, मुझसे रूठ गए हैं मेरे पीया ।
काश मिले उनकी एक झलक, यह ख्वाइश लिए बैठे हैं
आे बिछड़े प्रीतम, तोरी आश लगाए कबसे बैठे हैं
बारिश तन भिजाए; पर दिल में आग लगाए ख्वाइश सजन की
कोयलिया की मीठी कुक भी, ख्वाइश जगाए मधुर मिलन की।
सावन आया तुम न आए, पिया, कब तक राह निहरू तोरी ।
क्या पूरी होगी कभी, यह दिलो जान की ख्वाइश मोरी ?
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
Follow
😀
😂
😍
😊
😌
🤯
🤓
💪
🤔
😕
😨
🤤
🙁
😢
😭
🤬
0
65
M
Please
log in
to view and add comments on poems