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Armin Dutia Motashaw
Poems
Apr 2019
खुशी
खुशी
आखिर कहां छुपी है तु; थक गया हूं तुझे ढूढते ढूढते, ऐ खुशी।
बस्ती थी पहले हमेशा मेरे दिल में, अब बस है जहां उदासी, खामोशी ।
फिर एक बार आजा, बस जा इस दिल में, गमगीन है दिल तुझ बिन ओ खुशी ।
काश हर दिल में हमेशा बसे शांति, प्रसंता और तु, आे खुशी ।
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
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