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Apr 2019
खुशी

आखिर कहां छुपी है तु; थक गया हूं तुझे ढूढते ढूढते, ऐ खुशी।

बस्ती थी पहले हमेशा मेरे दिल में, अब बस है जहां उदासी, खामोशी ।

फिर एक बार आजा, बस जा इस दिल में, गमगीन है दिल तुझ बिन ओ खुशी ।

काश हर दिल में हमेशा बसे शांति, प्रसंता और तु, आे खुशी ।

Armin Dutia Motashaw
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