Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Apr 2019
मिलन

खिला है चांद, पुर बहार, किए सोलह श्रंगार।
देख उसे, धड़कता दिल मेरा, करे यह पुकार;
"आजा प्रीतम, छाई है यहां बरखा बहार।"

रात आज लग रही है हसीन, बुंदोकी हो रही है फुहार।
खड़ी हूं मै, नैन बिछाए, किए सोलह श्रंगार
काश आज यह कातिल जुदाई की होजाए हार।

पिया- मिलन कि आश में, हो रही हूं बेकरार।
आयेंगे प्रीतम, करूंगी जी भरके प्यार
आज की रात होगा दो दिलों में, प्यारका इकरार।

Armin Dutia Motashaw
62
 
Please log in to view and add comments on poems