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Armin Dutia Motashaw
Poems
Apr 2019
सुनिए तो
हे सूर्य देवता,
ऐ सूर्य, क्यों बरसाता है आकाश से, इतनी आग
कर रहम थोड़ा धरती पर भी, उजड़ रहे हैं यहां बाग
इतनेमे, " पेड़ क्यों काट रहे हो," बोला एक काग
"डाली बिना, मै बैठूं कहां; पूछे यह कोयल और काग
अब रोता है क्यों इतना; देख तेरे दामन के दाग;
बोला वो, ऐ मानव, अब यूह, गर्मी से डर के, तु न भाग
तुने ही फैलाई है यह गर्मी, यह तेरी ही लगाई हुई है आग
औरों को कष्ट दे कर, अब, यू न छाया मांग ।
अभी भी संभल जा, उठ, तेरी नींद से जाग ;
पेड़ पौधे उगा, फिर देख, धरा खुद गाएंगी, वसंत राग
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
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