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Apr 2019
हे सूर्य देवता,

ऐ सूर्य, क्यों बरसाता है आकाश से, इतनी आग

कर रहम थोड़ा धरती पर भी, उजड़ रहे हैं यहां बाग

इतनेमे, " पेड़ क्यों काट रहे हो,"  बोला एक काग

"डाली बिना, मै बैठूं कहां; पूछे यह कोयल और काग

अब रोता है क्यों इतना; देख तेरे दामन के दाग;

बोला वो, ऐ मानव, अब यूह, गर्मी से डर के, तु न भाग

तुने ही फैलाई है यह गर्मी, यह तेरी ही लगाई हुई है आग

औरों को कष्ट दे कर, अब, यू न छाया मांग ।

अभी भी संभल जा, उठ,  तेरी नींद से जाग ;

पेड़ पौधे उगा, फिर देख, धरा खुद गाएंगी, वसंत राग

Armin Dutia Motashaw
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