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Arvind Bhardwaj
Poems
Apr 2019
हिज़्र
रात की तन्हाइयों में, चाँद भी सोया नहीं,
दिल अकेला ही रहा, यादो में ये खोया नहीं,
ख्वाबों के मंज़र रात भर, आकर सताते ही रहे,
गहरे समंदर अश्क के, पर दिल भिगोया नहीं,
गुनगुनाती गूंजती बजती रही शहनाइयां,
जश्न था तिरे हिज़्र का, लब मय भी डुबोया नहीं,
सुर्ख वो रुखसार और चश्म-ए-क़यामत याद है,
क्या क्या नहीं जो दफ़्न कर सीने में पिरोया नहीं,
वो तल्खियां, वो रंजिशें, प्यार और अहल-ए-वफ़ा,
बेफिक्र ही फिरते रहे, गम-ए-इश्क़ पर बोया नहीं.
Written by
Arvind Bhardwaj
Chandigarh
(Chandigarh)
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