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Apr 2019
काश ऐसा हो जाए

थोड़ा सा प्यार, दूर से, तु क्यों न जताए;

पिया, तोरी याद मुझे दिन रात सताए

चांद में चेहरा तेरा नज़र आए

और ज़िल में से भी तु मुस्कुराए;

क्या करू, कहा जाऊ, कुछ समझ न आए !

कोयल की कूक से, दिल में हुक तु जगाए,

मयूर के नृत्य से भी, तेरी ही याद सताए ।

पुष्प के रंग और खुशबू भी मुझे तेरी ही याद दिलाए

पिया, काश मैं पंछी हो जाऊ, पंख मोहे आ जाए;

तो सब कुछ छोड़ कर, यह जोगन तेरे द्वार आए

मन ही मन सोचू, काश ऐसा कुछ हो पाए

तो मेरे देवता, नित दर्शन तेरे मिल जाए ।

Armin Dutia Motashaw
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