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Apr 2019
धुन न सुजे, न शब्द; न है मीठा गला, तो तेरे गुण, भजन में समाऊ कैसे

तेरे दरबारसे बुलावा न आए जब तक, तो वहां आऊ कैसे, दर्शन पाऊ कैसे  

तु करता, तु धरता, तु ही हमारे भाग्य का विधाता, तो इजाज़त बिना, द्वार तेरे आऊ कैसे

सुख करता तु, दुःख हरता तु, तो मै सुख - दुःख के फेरो से उभर आऊ कैसे

तेरी बातें तु ही जाने, मुझे समझ न आए वो; तो औरोको समझाऊं कैसे

नैया मेरी बीच भंवर में, पार लगे या डूब जाए, यह मै जानू कैसे

छोड़ा सब तुझपे, तु ही संभालना मुझे, मै अपनी नैया, पार लगावू कैसे

Armin Dutia Motashaw
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