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Apr 2019
आज भले हो अमावसया की घनी काली रात

पर कल तो मिलेगी हमें झलक चांद की, गंगा के घाट

फिर शायद आएगी पूर्णिमा की वो सुहानी रात

लेकर अपने संग, हजारों तारो की बारात

तेरे संग संग डोलू पिया, बस मेरे हाथो में हो तेरा हाथ

तेरी बांसुरी की धुन करे मुझे बेकरार दिन रात

सुन के उसे, जिया मेरा डोले, मांगू हरदम तेरा साथ

बस चाहूं मै, जल्द पूरी हो जाए यह घनी काली अमावस्या की रात ।

Armin Dutia Motashaw
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