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Armin Dutia Motashaw
Poems
Mar 2019
पी घर आए
पी घर आए
खुश हूं मै आज सखी, मोरे पीया घर आए;
ओ सखी, वर्षों बाद, पी के दर्शन मैंने पाए ।
सालों की अमावस्या के बाद, आज माहताब मुस्कुराए;
बदरी से निकल कर, तारो के साथ, गगन में छाए ।
पिया चलो, आज तुम संग, हम रास रचाए;
बचपन के दिन याद करके मुस्कुराए और
गाए ।
मोरे आंगन में आज फुल न जाने कहां से मुस्कुराए
बहार आई पतज़ड़ के दिनों में, क्यों की, पी घर आए ।
दिल में जो हो उमंग, तो पतज़ड बहार बन जाए ।
खुश हूं मै अधिक सखी, की सालों बाद, मोरे पी घर आए ।
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
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