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Mar 2019
बिरहा की वेदना

कातिल होती है बिरह की वेदना,

बड़ी ही दर्दनाक है यह संवेदना ।

प्रेम प्यासी तरसे, अखियों से बादल बरसे ,

तेरे दर्शन हुए, बीत गए हैं अरसे ।

चंदा जब निकलता है बादलओ की ओट से,

चली आती है याद तुम्हारी, पहाड़ियों की चोट से

कातिल होती है बिरहा की वेदना

समझेगा न कोई, मेरी संवेदना

Armin Dutia Motashaw
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