Hello + Poetry
Classics
Words
Blog
F.A.Q.
About
Contact
Guidelines
© 2024 HePo
by
Eliot
Submit your work, meet writers and drop the ads.
Become a member
Armin Dutia Motashaw
Poems
Mar 2019
विरह की वेदना
बिरहा की वेदना
कातिल होती है बिरह की वेदना,
बड़ी ही दर्दनाक है यह संवेदना ।
प्रेम प्यासी तरसे, अखियों से बादल बरसे ,
तेरे दर्शन हुए, बीत गए हैं अरसे ।
चंदा जब निकलता है बादलओ की ओट से,
चली आती है याद तुम्हारी, पहाड़ियों की चोट से
कातिल होती है बिरहा की वेदना
समझेगा न कोई, मेरी संवेदना
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
Follow
😀
😂
😍
😊
😌
🤯
🤓
💪
🤔
😕
😨
🤤
🙁
😢
😭
🤬
0
175
Please
log in
to view and add comments on poems