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Avanish maurya
Poems
Mar 2019
ग़लती ना थी
अपनी तबियत सबसे यूँ मिलती ना थी...
कमरे में खिड़की तो थी, खुलती ना थी...
हम अपनी मर्जी के मालिक होते थे...
अच्छे-अच्छों की हम पर गलती ना थी...
पहले तो बस दिन होता था या की रात..
शाम कभी इस दर पे तो गलती ना थी...
यारों से मिलना-जुलना जो जाता था..
क़िल्लत भी होती थी तो गलती ना थी...
अब तुम इस को अहम कहो या खुद्दारी...
माफ़ी कैसे माँगता जब ग़लती ना थी..
Written by
Avanish maurya
17/M/Delhi
(17/M/Delhi)
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