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Armin Dutia Motashaw
Poems
Mar 2019
पिया मेरे
पिया मेरे,
पिया, बनो न इतने बेरहम और निष्ठुर,
नाजुक दिल, दुखी हो के, टूट जाता है ।
शब्द बाण होते हैं बहुत ही कातिल; बड़े ही क्रूर;
दो मीठे शब्द सुनने से दिल पे सुकून छा जाता है ।
प्रीतम कभी तो प्रेम भरे शब्दों के फूल बरसाओ
हमें इतना भी न तड़पाओ और तरसाओ ।
माना के प्रीत मैंने की, आप भा गए; इसमें मेरा क्या कसूर ?
प्रेम न सही, पर इतने क्यों हो निष्ठुर ?
इतना भी न करो गुरूर अपनी बंसी पे;
छेड़ो मीठे सुर ।
माना आप हो राधिका के पर इस में मीरा का क्या कुसूर ?
मन मोह लिया इसे हो गए मनमोहन जरूर;
पर तरसाओ न मुझे युह रेह कर मुझसे दूर दूर ।
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
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