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Mar 2019
पिया मेरे,

पिया, बनो न इतने बेरहम और निष्ठुर,

नाजुक दिल, दुखी हो के, टूट जाता है ।

शब्द बाण होते हैं बहुत ही कातिल; बड़े ही क्रूर;

दो मीठे शब्द सुनने से दिल पे सुकून छा जाता है ।

प्रीतम कभी तो प्रेम भरे शब्दों के फूल बरसाओ

हमें इतना भी न तड़पाओ और तरसाओ ।

माना के प्रीत मैंने की, आप भा गए; इसमें मेरा क्या कसूर ?

प्रेम न सही, पर इतने क्यों हो निष्ठुर ?

इतना भी न करो गुरूर अपनी बंसी पे;
छेड़ो मीठे सुर ।

माना आप हो राधिका के पर इस में मीरा का क्या कुसूर ?

मन मोह लिया इसे हो गए मनमोहन जरूर;

पर तरसाओ न मुझे युह रेह कर मुझसे दूर दूर ।

Armin Dutia Motashaw
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