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Armin Dutia Motashaw
Poems
Feb 2019
इशारे
इशारे
हवाए रुख बदल रही है, अब घुटन सी होने लगी है;
प्राणवायु कम हो जाने से, हवा कुछ जहरीली हो रही है ।
स्वच्छ आकाशमें, न जाने अचानक बादल कहां से आ गए हैं
मेरा चांद छुप गया है, सितारे भी मुंह फेर रहे हैं
बदलाव के समय का, शायद, यह कोई इशारा है
अब वक्त क्या बतलाएगा; यह सोच के उलझन सी होती है !
दिये की अचानक लौ थरथरा रही है; कंपकपा रही है ज्योति ;
क्या यह लौ, तूफ़ान आने का कोई संकेत दे रही है हमें ?
मालिक मेरे, हमेशा महफूज़ रहे आशियाना मेरा
इस भूमि पर, इस घर पर, सदैव आशीर्वाद रहे तेरा
पावन यह भूमि है, मेरी मां के असितत्त्व का यहां है एहसास
इसे संभालेगा तु; रखेगा सुरक्षित, मुझे है पूरा विश्वास ।
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
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