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Armin Dutia Motashaw
Poems
Feb 2019
Pyar mei sauda nahi
प्यार में सौदा नहीं
प्यार में कोई सौदा होता नहीं है;
गर कोई कहे है; तो मै कहूं, तो फिर यह प्यार नहीं है
हा, इतना जरूर है, थोड़े से प्यार की अपेक्षा जरूर होती है ।
प्यार मांगने से मिलता नहीं; और जबर्जस्ती से होता नहीं ;
नहीं तो हर इंसान बस प्यार ही मांगता; मै खुद भी ।
प्यार तो बस यूंही हो जाता है; अपना दिल, पल भर में, पराया हो जाता है ।
प्यार पे कहां किसी का ज़ोर चलता है ? मन मस्तिष्क "ना" कहता रह जाता है;
और दिल किसी की सुनता कहां
है, प्रीतम का ही हो जाता है।
प्यार जो करते हैं; वोह सौदा नहीं किया करते;
बस दिल का दिया जलाते हैं ।
प्रीतम की खुशी में, अपनी खुशी ढूंढते रहते है; खुद फना हो जाते हैं ।
किसीने कहा है, आंधी में यह दीप जलाते हैं और पानी में आग लगा देते हैं।
प्यार में सौदा नहीं होता है, जहां सौदा होता है, वहा प्यार नहीं होता है ।
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
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