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Feb 2019
कल सब भुल जाएंगे

हर कोई मना रहा है आज शोक;
कल सब भुल जाएंगे ।

उस विधवा का सिंदूर जो उजड़ गया, वो कहासे लाएंगे ?
कल सब भुल जाएंगे ।

छाया है आंखो में दर्द, आंसू बह रहे हैं; पर खड़ी है बिचारी मौन ।
यह सब कल हम भुल जाएंगे ।

मात पिताका सहारा था वो बेटा; अब उन्हें देगा सहारा कौन ?
लकड़ी पकड़ा के हम तो भुल जाएंगे ।

छोटी सी वोह गुड़िया, कौन खेलेगा उस के साथ ?

वोह भाई बहन कि शादी थी बाकी; कौन पकड़ेगा उनका हाथ ?

हजारों स्वप्न देखे थे उसने; पर अब तो हो गया वो शहीद !

उस शहीद के अरमान कैसे पूरे करेंगे, उसके अपने ? धीरे धीरे कम हो जाएगी भीड़ ।

देश वासियों कुछ ऐसा करें, की शहीद के साथ, उसका परिवार न मरे ।

एक राष्ट्र फंड का करें निर्माण, की शहीद का परिवार जी तो सके, मेहगाई से न डरे ।

Armin Dutia Motashaw
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