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Armin Dutia Motashaw
Poems
Feb 2019
हर भारती को नम्र निवेदन
बुझ गया उनके घर का दिया, उनका चेराग ;
छाया है अंधेरा; उजड़ गया है उनके अरमानों का बाग ।
'गर हर भारती केवल दे रूपए दस; जी लेगा शहीदों का परिवार;
और हमारे देश के दुश्मनो की हो जाएगी हार ।
चलो आज मिलके रचे एक नया इतिहास
बता दें हम सब एक हैं, एक वतन, एक निवास ।
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
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