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Armin Dutia Motashaw
Poems
Feb 2019
औरत नहीं है एक खिलौना
गहरा है घाव, दिलो दिमाग और आत्मा पे।
हर औरत कि इज्जत है खतरे में ।
औरत ही देती है मर्द को जनम
यह क्यों भुल जाता है वो ? करो यह बार बार स्मरण।
औरत होती है एक जीती जागती व्यक्ति
होती है यह अर्धांगिनी और मा शक्ति।
वो है नहीं कोई खिलौना , करो न उसका अनादर
मा, बेहन, पत्नी, बेटी, भाभी को दो मान और आदर ।
सच्चा मर्द इज्जत देता है, इज्जत लूटता नहीं।
यह बात बेटो को सिखाइए, यही है सही
बनो औरत की ढाल, करो न उसका बुरा हाल ।
औरत है संसार की नीव, पेड़ का है जड़, न कि नाजुक सी डाल
आज से बेटियों को स्वयं सुरक्षा सिखाएं, और आत्मनिर्भर बनाइए ।
और बेटो को, खुद औरत की इज्ज़त करके, यह करना सीखाइये ।
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
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