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Jan 2019
सुरूर

बिन पिए छाया है आंखों में सुरूर;

कोई तेरा नाम ले, तो होता है अपने पे गुरूर ।

यह कैसा नशा है, ओ मेरे हमदम, मेरे हुज़ूर ?

असर होती है इसकि गहरी, पास हो या दूर ।

गर बिन पिए हुआ है यह हाल; तो आप का ही है कसूर ।

इस लिए कहता हूं, आंखे आप की, बड़ी नशीली है हुजुर;

खूबसूरत तो है ही, चमकता है इन में, एक अजीब सा नुर ।

छा जाता है नशा; बिन पिए; असर होती हैं गहरी ज़रूर ।

ह्रदय धड़कता है आप के लिए, जो प्यार से है उर पुर ।

मांगू इतना, रखिए न हमें, आप से दूर, बनिए न यु क्रूर ।

किस्मत हमारी, काश होती अच्छी, तो आप होते हमारे, ओ हुजुर।

दूर ही से सही, मिले मुझे दीदार आपके, तो बजने लगेंगे सुर

बस यूंही पिलाते रहिए प्यासे को, आंखो में छाता रहेगा सुरूर।

Armin Dutia Motashaw
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