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Jan 2019
तनहाइयाँ आशना है मेरी
दुनिया से कभ हमारा याराना था
फुसूँ का मरसिम है
ना कोई रंजिश है
ना कोई तर्क ना तकरार
ज़बान पर शक्कर का है ज़ायक़ा
चेहरे पे मुस्कान लिए
दिल में रौनक़ें है लगी

पहले जब वो अजनबी थी
बड़ी दूर दूर से घूरा करती थी
अब यह हमसफ़र है हमारी
क़दम क़दम साथ रखा करती है
ना कोई ख़्वाहिश उसकी
ना उसकी कोई पहचान
उसकी नज़दीकियों में फ़ासले की ख़ुशबू
हम साक़ी हैं उसके
वो आधा भरा  हुआ जाम

वो ना थी तो
बेफ़्ज़ूल सा शोर था छाया चारों और
बड़ी कशमक़स में थी ज़िंदगी
जो मन में था
उसे अल्फ़ाज़ कहाँ बयान करते थे
जो सुन रहे थे
वो ज़स्बात सांगदिल ना हुआ करते थे
लोगों की भीड़ में
यादों की शाही का रंग उड़ रहा था
भूले बीसरे क़िस्सों को बयान करने की ख़लिश पे
आँखो की बारिश का पानी पड़ रहा था
किसी को क्या इल्ज़ाम दे
ख़ुद से ही थी ख़ुद को शिकायतें
उन हालातों के हम मुलज़िम थे
और बीमार भी

अब दूर तक फैला है सुकून का सन्नाटा
घंटों ख़ुद से ख़ुद के
दिल ऐ हाल बयान करते हैं
वो दिन रात सुनती है बड़े आराम से
हमारे फिखरों पे तहाके लगा के हँसती है
वो हमराह है हमारी
वो हमराज़ भी
अब मरहम है ज़िंदगी
खवाबों के परिंदे के पर लगाए
ख़ूब देर तक उड़ती है
Written by
jyoti khadgawat
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