तनहाइयाँ आशना है मेरी दुनिया से कभ हमारा याराना था फुसूँ का मरसिम है ना कोई रंजिश है ना कोई तर्क ना तकरार ज़बान पर शक्कर का है ज़ायक़ा चेहरे पे मुस्कान लिए दिल में रौनक़ें है लगी
पहले जब वो अजनबी थी बड़ी दूर दूर से घूरा करती थी अब यह हमसफ़र है हमारी क़दम क़दम साथ रखा करती है ना कोई ख़्वाहिश उसकी ना उसकी कोई पहचान उसकी नज़दीकियों में फ़ासले की ख़ुशबू हम साक़ी हैं उसके वो आधा भरा हुआ जाम
वो ना थी तो बेफ़्ज़ूल सा शोर था छाया चारों और बड़ी कशमक़स में थी ज़िंदगी जो मन में था उसे अल्फ़ाज़ कहाँ बयान करते थे जो सुन रहे थे वो ज़स्बात सांगदिल ना हुआ करते थे लोगों की भीड़ में यादों की शाही का रंग उड़ रहा था भूले बीसरे क़िस्सों को बयान करने की ख़लिश पे आँखो की बारिश का पानी पड़ रहा था किसी को क्या इल्ज़ाम दे ख़ुद से ही थी ख़ुद को शिकायतें उन हालातों के हम मुलज़िम थे और बीमार भी
अब दूर तक फैला है सुकून का सन्नाटा घंटों ख़ुद से ख़ुद के दिल ऐ हाल बयान करते हैं वो दिन रात सुनती है बड़े आराम से हमारे फिखरों पे तहाके लगा के हँसती है वो हमराह है हमारी वो हमराज़ भी अब मरहम है ज़िंदगी खवाबों के परिंदे के पर लगाए ख़ूब देर तक उड़ती है