Hello P'try
Classics
Words
Blog
F.A.Q.
About
Contact
Guidelines
© 2024 HePo
by
Eliot
Submit your work, meet writers and drop the ads.
Become a member
Armin Dutia Motashaw
Poems
Jan 2019
बुरी नजर
बुरी नज़र
बड़ा दर्दनाक है समा, और दर्दनाक उसका असर;
मेरी खुशी पे, मेरी हसी पे लग गई है किसी की बुरी नजर ।
खुश रहती थीं मै, हमेशा मुस्कुराती थी, हसी से खिलखिलाता सारा घर।
पर रुलानेकी, दुनिया ने छोड़ी नहीं कोई कसर ।
क्यों जलती है यह दुनिया, औरो के सुखसे ? बड़ी बुरी है, किसिकी नज़र ।
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
Follow
😀
😂
😍
😊
😌
🤯
🤓
💪
🤔
😕
😨
🤤
🙁
😢
😭
🤬
0
75
Please
log in
to view and add comments on poems