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Armin Dutia Motashaw
Poems
Jan 2019
सपनों के सौदगर है हम
सपनो के सौदागर है हम
सपनोको, ख्वाहिशों को, कहां होती है लगाम ?
देखने वालों पर होता नहीं कोई इल्जाम ।
सपने देखते हैं हम दिन में, बिन पिए जाम ।
काश सूरत होती मधुबाला जैसी, नहीं ऐसी आम ।
और गीत संगीत में होता हमारा लताजी जैसा नाम।
काश हमभी गुलज़ार जैसी कविता लिख लेते सुबह शाम ।
मिल जाए काश हमें भी अपनी सपनों की मंज़िल, और मुकाम।
दुआ करो यारो हमारे लिए, हो जाए हमारा काम ।
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
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