बिना नशे भी, छा जाती है खुमारी; लग जाती हैं यह, नशीली बीमारी । यह है प्यार का नशा; यह है कहानी हमारी तुम्हारी।;
अफसाने यूहीं नहीं भर देते हैं, आंखो में पानी; देख लो इसे, समझो इसे, आंखो की जुबानी ; हमने तो इसे है सुनी, देखी और मानी ।
"नहीं नहीं, मानू ना मै इस बारेमे; प्रेम न नशा है न खुमारी । यह प्रेम तो बस है एक रोग , एक अनचाही बीमारी । " "पर मुझे दिखती है साफ, तुम्हारी आंखों में, प्रेम की खुमारी ।"