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Jan 2019
खुशियों का असर

बागो में फूल मेहके
आंगन में पंछी चेहके,
खुशी फैलाए हवा के ठंडे लेहके ।

बिन पिये, चढ़ता है नशा, जाना मैंने आज;
बिना उंगलियो के, राग भी छेड़ते हैं साज !
सुरीली लगती हैं मुझे आज मेरी ही आवाज़ ।

होता है जब दिल-ओ- दिमाग खुशी से तर बतर
नाज़ुक खुशबुदार कलियों से भर जाता है दामन, या बिस्तर !
हवाओं में फ़ैल जाती है खुशबू, माने बिखरा है अत्तर ।

दिल ने कहा, "यहीं तो है खुशियों का असर" ।

Armin Dutia Motashaw
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