HePo
Classics
Words
Blog
F.A.Q.
About
Contact
Guidelines
© 2024 HePo
by
Eliot
Submit your work, meet writers and drop the ads.
Become a member
Armin Dutia Motashaw
Poems
Jan 2019
बादल
बादल
उडू हवा में, बन के एक बादल
कहीं खुशी से हो जाऊ न मैं पागल ।
मुस्कुराऊं देख के दर्पण या झिल
मानो, मिल गई है आज मुझे अपनी मंज़िल।
खुला है आकाश, जागी है एक आश;
बनके पंछी, उड़नेकी जागी है आज प्यास ।
पिया का आया है आज पैग़ाम, एक खत;
लिखा है कया उसने, मुझे पूछना मत ।
इस खत में, एकसाथ मेरा है और उनका भी है नाम
और चाहूं मै क्या, मेरे लिए, अनमोल है इसका दाम ।
यह सब मै, अपने पिया को लिख न पाऊ;
इसी लिए, कोकिला बन के, सुरीला गीत गऊ ।
सुन लेना पिया मेरी आवाज़, मेरा मधुर यह गीत ।
बस इसी में है मेरे प्यार की, मेरी प्रीत की जीत ।
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
Follow
😀
😂
😍
😊
😌
🤯
🤓
💪
🤔
😕
😨
🤤
🙁
😢
😭
🤬
0
64
Please
log in
to view and add comments on poems