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Jan 2019
बादल

उडू हवा में, बन के एक बादल
कहीं खुशी से हो जाऊ न मैं पागल ।

मुस्कुराऊं देख के दर्पण या झिल
मानो, मिल गई है आज मुझे अपनी मंज़िल।

खुला है आकाश, जागी है एक आश;
बनके पंछी, उड़नेकी जागी है आज प्यास ।

पिया का आया है आज पैग़ाम, एक खत;
लिखा है कया उसने, मुझे पूछना मत ।

इस खत में, एकसाथ मेरा है और उनका भी है नाम
और चाहूं मै क्या, मेरे लिए, अनमोल है इसका दाम ।

यह सब मै, अपने पिया को लिख न पाऊ;
इसी लिए, कोकिला बन के, सुरीला गीत गऊ ।

सुन लेना पिया मेरी आवाज़, मेरा मधुर यह गीत ।
बस इसी में है मेरे प्यार की, मेरी प्रीत की जीत ।

Armin Dutia Motashaw
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