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Riddhi N Hirawat
Poems
Jan 2019
शादी
शादी वो संगत नहीं
जिस में पत्नी ने पति के कपड़े समेटकर रखे
और उसने पेहन लिये
और बस हो गया!
पति ने पत्नी के लिये कपड़ों की
कमी नही रहने दी
और बस हो गया!
पत्नी ने खाना बनाया
पति ने खा लिया
और बस हो गया!
पति फल-सब्जियां ला
निश्चिंत हो गया
और बस हो गया!
अगर सुरीले संगीत से
पौधा भी अच्छा बढ़ता है,
तो सोचो, प्रेम के दो शब्दों से
कैसा एक रिश्ता निखरता है!
कटु कथन तो दुनियादारी
में सुनती ही रहनी पड़ती है।
सिर हाथ रख सहला दे साथी
तब देखो, क्या हँसी उभरती है!
तन त्राण-त्राण हो तड़प उठे
जब बीमारी के शोलों से,
खुद दवा बन ठंडक पहुँचा दे
वह अपने प्यार के ओलों से
अपने जीवन में जीत जंग
तो हर कोई खुशी मनाता है।
माँ, बाप, भाई और दोस्त बन
साथी साथ में झूमता-गाता है!
कपड़े समेटता, कमियाँ न रखता
खाना पकाता, फल-सब्जियाँ भी लाता
और दोस्ती सदा निभाता है
संगत वो शादी कहलाता है
संगत वो शादी कहलाता है!
Written by
Riddhi N Hirawat
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