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Armin Dutia Motashaw
Poems
Jan 2019
प्रीत की डोर
प्रीत की डोर
मन माने ना, पर दिल मचाए शोर, कहे वह जोर-जोर से,
होती है नाज़ुक, लेकिन होती नहीं कमजोर ,
प्रीत की यह डोर ।
सालों नहीं, जन्मो जन्म की लंबी होती है यह प्रीत की डोर ।
प्रीत कभी मरती नहीं, होती नहीं वह कमजोर, पर नाजुक होती है प्रीत की डोर ।
प्रीत मागे प्रियतम से प्यार,
भले मिले ना मिले उसे संसार ।
नाजुक सा यह रिश्ता, चाहे न ज्यादा, बस मांगे प्रीतम का प्यार ।
मैं भी मांगु अपने प्रीतम से, प्यार का इजहार ।
बस एक बार बस एक ही बार कर दो तुम इकरार ।
बांध लो मुझे इस बंधन में, बांध लो मुझे से यह नाजुक डोर ।
हूं मैं तुम्हारी जन्मो जन्म से करती हूं मैं आज यह इकरार ।
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
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