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Jan 2019
छोटा सा मेरा घर

हो एक छोटा सा; पर मेरा अपना घर;
हो वह, बेहती नदी के किनारे पर ।

पेड़ पौधों के बिचमे, फूलों से महकता हो मेरा आंगन;
रंग बे रंगी फूलों से भरा हो मेरा सुहाना प्रांगण ।

पूर्णिमा का चांद खिला हो, तारों की हो बरात;
प्रीतम का हो साथ, तो और भी हसीन हो जाए रात ।

शांति हो, सुकून हो, हो दुनिया का सारा सुख;
सूर्य की कोमल रोशनी से दूर हो जाए, हर दुख ।

सादा खिलता रहे, मेरा यह, प्यार भरा चमन ।
जीवन में हमारे, सदा हो अमन ही अमन ।

कुके मेरे आंगन में कोयल, और सुरीला गीत गाए बुलबुल ।
मांगू विधातासे आज; कर लीजिए यह मेरी सारी दुआए कबूल ।

Armin Dutia Motashaw
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