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Jan 2019
देखती रहती हूं मैं, दिन में सपने;
पर सपने कहां होते हैं अपने !

एक तु ही है दाता जो भर सकता है झोली हमारी
अगर सपने मेरे सच कर दे, तो बड़ी कृपा होगी तुम्हारी।

Armin Dutia Motashaw
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