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Armin Dutia Motashaw
Poems
Dec 2018
रिश्तों पे ऐतबार
दिल आज फिर है बेकरार,
खो रहा है रिश्तों पे ऐतबार
टूट रहे हैं एक एक कर के, तार;
अब बेकार होने लगी है यह सितार
लगता है सब नकली, किसपे करें एतबार
दर्द से है भरा सिना, क्यों कि ठोकर खाते है बार बार ।
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
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