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Dec 2018
मेरे प्यार पे हमेशासे है, मुझे बड़ा नाज़;
तुम ही हो मेरे प्रीतम; मेरे सरताज ।

पर बेताब बहुत है दिल मेरा आज ।
सूने पड़े हैं मेरे सब सुर और साज़ ।

लगता नहीं है मन, भाते नहीं है मुझे सकल काज;
बड़ी बेताब और बहुत ही उदास हूं मैं आज ।

छोड़ दू कैसे मै, मेरी शरम- लाज;
जवाब क्या दू, गर पूछे मुझे समाज ?

कौन हो तुम मेरे; क्यु बांधी है मैंने तुमसे यह आश ?
बेताब हूं, फिर भी तुम आओगे, है यह दृढ़ विश्वास ।

Armin Dutia Motashaw
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