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Nov 2018
तेरे बिन जीना भी क्या जीना;
आजा, के दिल ने तुझे हर पल याद किया।
न कोई खुशी, न बहार, तेरे बिन बस एक बुत बन के, बेजान जीवन जिया।
जान बूझकर जीवन भर खुशी खुशी, तेरी जुदाई का, हसकर जहर पिया ।

हर रात ने, शीतल चांदनी ने भी जलाया; स्वप्नों में भी बुलाया पर स्वप्न ही नहीं आया ।
स्वप्न आता भी तो कब और कैसे, नींद ने है नहीं मुझे इस सुख से नवाजा ।
तेरे बिन जीना, क्या खाख है जीना; पल भर हस न पाना, क्या इसे कहते हैं जीना ?

Armin Dutia Motashaw
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