दर्द इतना दर्द कोई सहे कैसे ? कब तक वो जिए यूहीं, ऐसे। न बोल सके, न सेह सके यह एहसास; अब तो घूंटता है उसका स्वाशो स्वाश । जीवनमें उसके लिए, रही नहीं कोई वजह फिर क्यूं जिए कोई यूहीं, बेवजह ? आके तु बता जा, मन् में विश्वास जगा जा। एक बार फिर, जीने की तमन्ना जगा जा।