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Shrivastva MK
Poems
Oct 2018
हमे टूट जाना बाकी था
जो पन्ने फट गए ज़िन्दगी के उस पर बहुत कुछ लिखना बाकी था,
दर्दों के साथ जीना सीख गए पर अभी बहुत कुछ सीखना बाकी था,
कुछ ख़्वाइशों को आपने जलाया उसके लिए शुक्रिया है आपका,
कुछ यादें आपके साथ ही मिट गए कुछ ख्वाबों को मिटाना बाकी था,
बेशक़ इन हवाओं में हौसला नही था जो बुझा दे हमारे प्यार के दीप,
आपने उसे बुझा तो दिया बस उसका जलकर राख बन जाना बाकी था,
जो हमे आप हर वक़्त समझाया करतें दास्तान-ए-मोहब्बत,
हम तो समझ गए जी बस आपको समझ आना बाकी था,
वाह!आप आए चाहत बनकर चले गए बनकर नासूर,
आप तो भूल गए सारी बातों को बस हमें भुल जाना बाकी था,
ये यकीन था कि रोना है एक दिन आपके साथ मुस्कुराकर,
समझ तो थी बस उस पल इस बात का अहसास होना बाकी था,
हम ख़ुद ही चले जाते आपको छोड़कर एक बार कह कर तो देखते,
आपने तो मुह मोड़ लिया उस रास्ते से बस हमें मुड़ जाना बाकी था,
नफ़रत तो हम खुद से करना बहुत पहले सिख गए थे,
बस आपके झूठे इश्क़ को उस नफ़रत में जलाना बाकी था,
सुनिए आपकी हैसियत नही थी इस मनीष को तोड़ने की,
ख़ैर आपने तो सिर्फ मेरे ख़्वाबों को तोड़ा,अभी हमे टूट जाना बाकी था,
टूट जाना बाकी था........
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Written by
Shrivastva MK
23/M/INDIA
(23/M/INDIA)
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