आज जो ओझल हो गया खुद से कल फ़िर चमकुंगा सितारा बनकर, आज जो दुब गई है मेरी पहचान कल फ़िर उभरूँगा किनारा बनकर,
खौफ़ तो हमें खुद की साँसे छूटने से भी नही बस अब अपनो की जुदाई से डरता हूँ, किसी के आने से आज बेहद खुश हूँ बस अब वक़्त और ख़ुदा की रुशवाई से डरता हूँ,
जो सूरज दुब गया है आज इन बादलों के दरमियां, कल फिर निकलेगा वो सूरज चमकती उजियारा बनकर, आज ख़ुद की तस्वीर में ही खुद नही दिखते कल फ़िर आयेंगे हम चमकती सितारा बनकर,
वक़्त ने कहा तू सबकुछ पाकर भी अधूरा रह जायेगा, हमने भी कहा बस मेरी माहिया को हमारा कर दे ये मनीष अधूरा रहकर भी पूरा हो जाएगा,
कल जो बिना किसी डर के चलता था आज चलता है सम्भल संभलकर आज जो रूठ गए है वो हसीं लमहात मेरे, कल वो फिर आएंगे लहरा बनकर,
लोग प्यार करते है प्यार को पाने के लिए, राधे-कृष्ण ने प्यार किया प्यार समझाने के लिए,
ज़ख्म जो आये है मेरी ज़िन्दगी में आज अंधियारा बनकर, कल इन्ही ज़ख्मो पर मुस्कुरा कर फ़िर से चमकुंगा सितारा बनकर।